AN UNBIASED VIEW OF BAGLAMUKHI SADHNA

An Unbiased View of baglamukhi sadhna

An Unbiased View of baglamukhi sadhna

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Somebody worshipping goddess Bagalamukhi possesses immense electricity. These mantras are really beneficial and assures results if recited in the ideal way.

अभी कुछ समय पेहले ही मुझे एक खुशखबरी प्रपात हुई है निर्मल जो मेरा शिष्य है उसने दो शक्तिओ का परतक्षीकरण हासिल किया है एक महाकाली का और एक मासनी देवी का ! यह मेरे लेया बहुत खुशी की बात है !

हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै

उ. देवी को सुगंधित द्रव्य-मिश्रित जल से स्नान करवाने के उपरांत गुनगुना जल ड़ालकर महाभिषेक स्नान करवाएं। महाभिषेक करते समय देवी पर धीमी गति की निरंतर धारा पड़ती रहे इसका ध्यान रखें। इसके लिए अभिषेकपात्र का प्रयोग करें। संभव हो तो महाभिषेक के समय विविध सूक्तों का उच्चारण करें।

1)I m a hundred% confident, any regular human being can get frightened by observing scary thing. But as u claimed it can be goddess instead of any paranormal entity, so disregarding it, if i continue on reciting & chanting, will goddess stops harming or killing.

Bagalamukhi is understood by the favored epithet Pitambara-devi or Pitambari, “she who wears yellow outfits”. The iconography and worship rituals repeatedly confer with the yellow colour.

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।

पीली हल्दी की या पीली हकीक की माला से मंत्र जाप करना चाहिये

- बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना यहां देना संभव नहीं है। किंतु आवश्‍यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया जा रहा है ताकि जब साधक मंत्र संपन्न करें तब उसे सुविधा रहे।

अग्निर्वै देवानां मनोता तस्मिन् हि तेषां मनांसि ओतानि !

The spot of manifestation of Baglamukhi Devi is believed for being during the Saurashtra area of Gujarat. It is alleged that they ended up manifested by turmeric colored drinking water. Due to yellow color of turmeric, she is also referred to as Pitambara Devi.

इंद्रजाल मोहिनी मंत्र

विशेष एवं उच्चकोटि का यह भगवती बगलामुखी प्रयोग भक्त पर हुए किसी भी तरह के अभिचार कर्म से मुक्त करने में सक्षम है।

साधना को आरम्भ करने से पूर्व एक साधक को चाहिए कि वह मां भगवती की उपासना अथवा website अन्य किसी भी देवी या देवता की उपासना निष्काम भाव से करे। उपासना का तात्पर्य सेवा से होता है। उपासना के तीन भेद कहे गये हैं:- कायिक अर्थात् शरीर से , वाचिक अर्थात् वाणी से और मानसिक- अर्थात् मन से। जब हम कायिक का अनुशरण करते हैं तो उसमें पाद्य, अर्घ्य, स्नान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पंचोपचार पूजन अपने देवी देवता का किया जाता है। जब हम वाचिक का प्रयोग करते हैं तो अपने देवी देवता से सम्बन्धित स्तोत्र पाठ आदि किया जाता है अर्थात् अपने मुंह से उसकी कीर्ति का बखान करते हैं। और जब मानसिक क्रिया का अनुसरण करते हैं तो सम्बन्धित देवता का ध्यान और जप आदि किया जाता है।

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